यह पूरी स्रष्टि ही सत, रज एवं तम नामक तीन गुणों से बनी है। हमारा शरीर भी तीन गुणों का बना हुआ है। आयुर्वेद में इन्हें वात, कफ और पित्त कहा जाता है। जब ये गुण सही मात्रा एवं अनुपात में होते हैं तो हम दैहिक, दैविक एवं भौतिक दुखों से दूर रहते हैं और जब इनका संतुलन ख़राब हो जाता है तब ये तीनों प्रकार की परेशानियाँ हमें घेरने लगतीं हैं। वात, कफ तथा पित्त को पुनः संतुलित कर के हम न केवल शारीरिक बीमारियों को दूर कर सकते हैं बल्कि मानसिक एवं आध्यात्मिक उन्नति भी कर सकते हैं। हाँ, यह जानकार आपको विशेष ख़ुशी होगी कि आध्यात्मिक पथ पर उन्नति करने वालों को विभिन्न सिद्धियाँ एवं शक्तियाँ सहज ही प्राप्त होती जाती हैं। गुणों के संतुलन तो पुनः प्राप्त करने के लिए हमारे ऋषियों ने कई प्रकार के योग बताये हैं। इन योगों को करने के लिए पर्याप्त मात्रा में श्रद्धा, विश्वास तथा साधना की आवश्यकता होती है, जो कि माया से घिरे हुए सामान्य व्यक्ति के लिए सहज नहीं है। अतः आयुर्वेद ने एक सरल एवं सहज उपाय बताया।
त्रिफला अर्थात तीन फल। हर्र, बहेड़ा एवं आंवला वे तीन फल हैं, जिनका ठीक तरह से प्रयोग कर हम वात, कफ एवं पित्त को पुनः संतुलित कर सकते हैं। मैंने अपने बचपन में सुना था कि त्रिफला के प्रयोग के द्वारा सफ़ेद हुए बाल पुनः काले हो जाते हैं। आधुनिक शिक्षा ने भले ही हमें कई लाभ दिए हों लेकिन दुर्भाग्य से हमारे पुरातन ज्ञान को या तो नष्ट कर दिया है या फिर उसके चारों ओर अविश्वास का ऐसा वातावरण बना दिया है कि कोई सहज में विश्वास करने के लिए तैयार नहीं होता है। आधुनिक चिकित्सा शास्त्र मानता है कि जो बाल सफ़ेद हो गये हैं वे पुनः काले नहीं हो सकते हैं। मैं काफी लम्बे समय से त्रिफला के प्रयोग का वह सटीक तरीका ढूंढ रहा था जो कि इस आधुनिक विश्वास को जवाब दे सकता हो। कुछ दिन पहले ही जब यह तलाश पूरी हुयी तो यह भी ज्ञात हुआ कि बाल काले हो जाना तो त्रिफला का मात्र एक साइड इफेक्ट है, त्रिफला तो सचमुच में एक जादुई औषधि है जो कि सर्व व्याधियों का हरण करती है, पूर्ण स्वास्थ्य प्रदान करती है और साथ ही साथ आध्यात्मिक उन्नति भी करती है। तो यह लेख त्रिफला के सटीक प्रयोग एवं उसके लाभों के विषय में है। समझदार लोग इसका लाभ उठाएंगे। अधिक समझदार लोग अंग्रेजी पढेंगे। ध्यान रहे आप स्वतंत्र हैं, कुछ भी कर सकते हैं।
बनाने की विधि:
त्रिफला बनाने के लिये आपको सूखे हुये बड़ी हरड़, बहेड़ा और आंवला चाहिये। तीनों ही फल स्वच्छ एवं बिना कीड़े लगे होने चाहिये। इनकी गुठली निकाल दें एवं बचे हुये भाग का अलग-अलग चूर्ण बना लें। बारीक छने हुये तीनों प्रकार के चूर्णों को 1 : 2 : 4 के अनुपात में मिलायें। उदहारण के लिये यदि 10 ग्राम हरड का चूर्ण लेते हैं तो उसमें 20 ग्राम बहेड़े का चूर्ण और 40 ग्राम आंवले का चूर्ण मिलाएं। उत्तम परिणाम प्राप्त करने के लिए इस अनुपात का ध्यान अवश्य रखें। एक बार में उतना ही चूर्ण तैयार करें जितना कि 4 महीने चल जाये। क्योंकि 4 महीने से अधिक पुराने चूर्ण की शक्ति क्षीण होने लगती है। बाज़ार में मिलने वाले बने बनाये चूर्ण पर उचित अनुपात का विश्वास नहीं रहता है तथा वह या उसके कुछ घटक चार महीने से अधिक पुराने हो सकते हैं। अतः चूर्ण घर पर बनाना ही श्रेष्ठ है।
खाने की विधि:
किसी भी उम्र का कोई भी व्यक्ति त्रिफला का सेवन कर सकता है। लेकिन एक बात तय है कि बेड टी की आदत छोड़नी होगी। दरअसल पूर्ण लाभ के लिये प्रातः सो के उठने के तुरंत बाद कुल्ला करके ताजे पानी के साथ त्रिफला का सेवन करना है। और फिर कम से कम एक घंटे तक किसी भी चीज का सेवन नहीं करना है। केवल पानी पी सकते हैं। मात्रा का निर्धारण उम्र के अनुसार किया जायेगा। जितने वर्ष की उम्र है उतने रत्ती त्रिफला का दिन में एक बार सेवन करना है। 1 रत्ती = 0.12 ग्राम। उदहारण के लिए यदि उम्र 50 वर्ष है, तो 50 * 0.12 = 6.0 ग्राम त्रिफला एक बार में खाना है। त्रिफला का पूर्ण कल्प 12 वर्ष का होता है तो 12 वर्ष तक लगातार सेवन कर सकते हैं।
ऋतु अनुकूलन:
हमारे देश में दो दो महीने की छः ऋतुयें होतीं हैं। प्रत्येक ऋतु में त्रिफला का अधिकाधिक लाभ संग्रहित करने के लिये शरीर का ऋतु के अनुकूल ढलना बेहतर होता है। अतः ऋतू अनुसार अतिरिक्त लाभ के लिये त्रिफला में अन्य चीजों को मिलाने का भी विधान है।
बनाने की विधि:
त्रिफला बनाने के लिये आपको सूखे हुये बड़ी हरड़, बहेड़ा और आंवला चाहिये। तीनों ही फल स्वच्छ एवं बिना कीड़े लगे होने चाहिये। इनकी गुठली निकाल दें एवं बचे हुये भाग का अलग-अलग चूर्ण बना लें। बारीक छने हुये तीनों प्रकार के चूर्णों को 1 : 2 : 4 के अनुपात में मिलायें। उदहारण के लिये यदि 10 ग्राम हरड का चूर्ण लेते हैं तो उसमें 20 ग्राम बहेड़े का चूर्ण और 40 ग्राम आंवले का चूर्ण मिलाएं। उत्तम परिणाम प्राप्त करने के लिए इस अनुपात का ध्यान अवश्य रखें। एक बार में उतना ही चूर्ण तैयार करें जितना कि 4 महीने चल जाये। क्योंकि 4 महीने से अधिक पुराने चूर्ण की शक्ति क्षीण होने लगती है। बाज़ार में मिलने वाले बने बनाये चूर्ण पर उचित अनुपात का विश्वास नहीं रहता है तथा वह या उसके कुछ घटक चार महीने से अधिक पुराने हो सकते हैं। अतः चूर्ण घर पर बनाना ही श्रेष्ठ है।
खाने की विधि:
किसी भी उम्र का कोई भी व्यक्ति त्रिफला का सेवन कर सकता है। लेकिन एक बात तय है कि बेड टी की आदत छोड़नी होगी। दरअसल पूर्ण लाभ के लिये प्रातः सो के उठने के तुरंत बाद कुल्ला करके ताजे पानी के साथ त्रिफला का सेवन करना है। और फिर कम से कम एक घंटे तक किसी भी चीज का सेवन नहीं करना है। केवल पानी पी सकते हैं। मात्रा का निर्धारण उम्र के अनुसार किया जायेगा। जितने वर्ष की उम्र है उतने रत्ती त्रिफला का दिन में एक बार सेवन करना है। 1 रत्ती = 0.12 ग्राम। उदहारण के लिए यदि उम्र 50 वर्ष है, तो 50 * 0.12 = 6.0 ग्राम त्रिफला एक बार में खाना है। त्रिफला का पूर्ण कल्प 12 वर्ष का होता है तो 12 वर्ष तक लगातार सेवन कर सकते हैं।
ऋतु अनुकूलन:
हमारे देश में दो दो महीने की छः ऋतुयें होतीं हैं। प्रत्येक ऋतु में त्रिफला का अधिकाधिक लाभ संग्रहित करने के लिये शरीर का ऋतु के अनुकूल ढलना बेहतर होता है। अतः ऋतू अनुसार अतिरिक्त लाभ के लिये त्रिफला में अन्य चीजों को मिलाने का भी विधान है।
- चैत्र, वैसाख - वसंत ऋतु - शहद से चाटना चाहिये।
- ज्येष्ठ, आषाढ़ - ग्रीष्म ऋतू - त्रिफला का 1/4 भाग गुड़ मिलाकर खाना चाहिये।
- सावन, भादों - वर्षा ऋतू - त्रिफला का 1/8 भाग सेंधा नमक मिलाना चाहिये।
- आश्विन, कार्तिक - शरद ऋतू - त्रिफला का 1/6 भाग देशी खांड के साथ खाना चाहिये।
- अगहन, पौष - हेमंत ऋतू - त्रिफला का 1/6 भाग सौंठ का चूर्ण मिलाना चाहिये।
- माघ, फाल्गुन - शिशिर ऋतू - त्रिफला का 1/8 भाग छोटी पीपल का चूर्ण मिलाना चाहिये।
लाभ:
प्रथम वर्ष तन सुस्ती जाय। द्वितीय रोग सर्व मिट जाय।।
तृतीय नैन बहु ज्योति समावे। चतुर्थे सुन्दरताई आवे।।
पंचम वर्ष बुद्धि अधिकाई। षष्ठम महाबली हो जाई।।
श्वेत केश श्याम होय सप्तम। वृद्ध तन तरुण होई पुनि अष्टम।।
दिन में तारे देखें सही। नवम वर्ष फल अस्तुत कही।।
दशम शारदा कंठ विराजे। अन्धकार हिरदै का भाजे।।
जो एकादश द्वादश खाये। ताको वचन सिद्ध हो जाये।।
व्यक्तिगत सलाह:
विकारों (toxins) को शरीर से बाहर निकालना स्वास्थ्य प्राप्त करने का प्रथम सूत्र है। अतः त्रिफला सेवन प्रारंभ करने पर कुछ दिनों तक दिन में एक या दो बार पतले दस्त आना सामान्य बात है। अतः इसके लिये तैयार भी रहें। जैसे ही शरीर के विकार दूर होने लगेंगे दस्त आना भी बंद हो जायेंगे। कई बार व्यस्तता के कारण लोग इसके लिये तैयार नहीं होते हैं। दूसरी और त्रिफला में आंवला की मात्रा अधिक होने के कारण इसका प्रभाव ठंडा होता है। यह स्थिति भी कई लोगों को असहज लग सकती है। अतः उम्र के अनुसार जो भी मात्रा आप को लेनी चाहिये उसकी आधी मात्रा से प्रारंभ करना आसान हो सकता है। धीरे धीरे मात्रा बढ़ाते हुये एक महीने के अन्दर अपनी पूर्ण खुराक तक पहुँचना व्यवहारिक रहेगा। लेकिन सुबह सुबह खाली पेट सेवन एवं एक से दो घंटे तक ताजे पानी की अतिरिक्त और कुछ भी सेवन न करने के नियम का कठोरता से पालन अति आवश्यक है।
Courtesy: astrogle.com |
यस्य देशस्य यो जन्तुस्तज्जं तस्यौषधं हितम्।
जो प्राणी जहाँ जन्म लेता है उसके लिये वहीं की औषधियाँ हितकारी होतीं हैं।
Simply amazing. Someone had told me about it some 12 years ago but I could not take it. Now I may. I find it difficult to prepare it at home. Baba Ramdev shop here also sells it, do you recommend buying from there?
ReplyDeleteAlso how much will be 7-8 gms in spoon measures.
Baba Ramdev sells ready made Trifala as well as it's all three ingredients separately. I am not confirm what ratio he maintains in Trifala so it will be better to get it's ingredients from there. Another thing is that the expiry date according to him lies after one year of packing but as per my information Choorna should not be older then 4 months. So it will be better to get latest packing of the all three Choornas which are not more then 1 or 2 months older.
DeleteYour dose will be one and half tea spoon approximately. But once getting a dose weighted from some where is suggested. Because RATIO OF INGREDIENTS AND DOSE ARE VERY IMPORTANT.
Thank you I understand.
ReplyDeleteThanks for posting such a wonderful information. I know many people who transformed their health dramatically using triphala. Keep posting such fundamental and useful information for world welfare.
ReplyDeleteRangnath
यस्य देशस्य यो जन्तुस्तज्जं तस्यौषधं हितम्।
ReplyDeleteजो प्राणी जहाँ जन्म लेता है उसके लिये वहीं की औषधियाँ हितकारी होतीं हैं।
नमस्ते
मेरा नाम राहुल है
मै हैदराबाद तेलंगाना में रहता हू
मेरी उम्र 25साल है
में इस अद्भुत जड़ी बूटी त्रिफला का फ़ायदा उठाना चाहता हु
मैंने त्रिफला चूर्ण 2 novembar से लेना शुरू कर दिया है मैंने चूर्ण घरमे हि बनाया है 1;2;3 के अनुपात में मिलाया है 15 दिन हो चुके है अब मै क्या करू
और मै ये पूछना चाहता की
में जहा पैदा हुवा वहा नहीं रहता,मतलब बीदर जिल्ला के पास कर्णाटक के एक छोटे से गाँव मे
पैदा हुवा हू जो मेरे नानी का गाँव है ,पर अब में हैदराबाद में रहता हु यानि बचपन सेहि यहाँ रहता
हू ये गाँव यहाँ से 200km दूर है ,तो मैं कहा के फल ले सक्ता हू
कृप्या मुझे इस्का सही उपयोग बताइए
मै आपका आभारी रहूँगा
धन्यवाद्
200 किलो मीटर से कोई फर्क नहीं पड़ता मतलब एक सा वातावरण है इसलिए आप उस वातावरण के खाने पीने के lifestyle को अपनाएं......
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Deleteसर नमस्ते
Deleteत्रिफला चुर्न कोंन्से अनुपात मे लेना अछा है 123वाला या 124वाला
क्युंकि मैने जब 2014मे 124वाला अनुपात मे लेना शुरु किया था तो 4महिने
लगातार लेने के बाद मैने पत्ले दस्त के कारन त्रिफला चुर्न लेना बन्द कर्दिया
था क्युंकि मेरा वजन बोहोत कम होगया था मे फिर त्रिफला चूर्न 123के अनुपात मे 6महिने से लेना शुरु किया है अभि भि मुझे सुभा के नाश्ते के बाद 1बार पत्ले दस्त आते है
अब ये पत्ले दस्त का सिल्सिल कब खतम होगा इस्के लिये क्या कर्ना होगा
क्रिपिय इस्का कोइ हल बथैये
धन्यवाद्
Rahul patle dast to aayenge. nashte ke turant baad. Ek ya do baar. Apko adjust karna padega. Triphala toxins aise hi nikalta hai.
DeleteKya Aisa hi chalega hamesha ke liye
DeleteKonsa anupath 123 124 konsa ?
Good job
ReplyDeleteMany Many thanks for Such a great Post
Great . But sir kitni kitni matra me le shuruaat me iseise.. aur dabar trifla churna sahi h ya nhi?
ReplyDeleteJitni umra utni ratti
Deleteबड़या हॆ।
ReplyDeleteक्या रात में भी खा सकते है
ReplyDeleteTriphala Subah kayakalp karta hai aur raat ko keval dast lata hai. Aisa Ayurvedic granthon me likha hai
Deleteक्या रात में भी खा सकते है
ReplyDeleteTriphala Subah Kayakalp karta hai aur raat ko keval dast lata hai aisa granthon me likha hai.
Deleteक्या रात में भी खा सकते है
ReplyDeleteहा जी लेकिन सुबह ले तो बहुत ही बेस्ट होगा।
ReplyDeleteमुझे साइनस प्रॉब्लम हैं तो म कैसे लु। और 123 या 124 के अनुपात में बनाऊँ। कृपया मार्गदर्शन करें।
ReplyDelete1:2:4 का अनुपात ही Best है
Delete1;2:4 का अनुपात श्रेष्ट है चुकि आंवला में विटामिन सी होता है जो आज के युग में ज्यादा चाहिए l यह मेरा अपना अनुभव है l
DeleteSir mujhe kabj ki samasya hai aur Mera wajan bhi underweight hai to mai triphala churn Kaise lu... please Sir suggest me.
ReplyDeleteअश्वगन्धा चूर्ण
DeleteSir mujhe kabj ki samasya hai aur Mera wajan bhi underweight hai to mai triphala churn Kaise lu... please Sir suggest me.
ReplyDeleteEs se aapka weight gain bhi hoga kiyuki ye kabaz marta
Deleteइस तरह की जानकारी का अधिक से अधिक प्रचार एवं प्रसार करना चाहिए।
ReplyDeleteमनोज तिवारी जी,
ReplyDeleteआप बधाई के पात्र है।
साधुवाद, मेरी शुभकामनाए।
ईश्वर की अनुकंपा आप पर सदैव रहेगी,यह मेरा दृढ़ विश्वास है।
आलोक मोहन पाण्डेय
मनोज तिवारी जी,
ReplyDeleteआप बधाई के पात्र है।
साधुवाद, मेरी शुभकामनाए।
ईश्वर की अनुकंपा आप पर सदैव रहेगी,यह मेरा दृढ़ विश्वास है।
आलोक मोहन पाण्डेय
Great blog which provides very important information of triphala herb.For more information anyone can visit on our website http://www.alwaysayurveda.com/store/products/planet-ayurveda-triphala-capsules/
ReplyDeleteतिरफ्ला खाने के डेढ़ घण्टे तक पानी नहीं पीना _बगबट(राजीव दीक्षित जी)
ReplyDeleteआधे घण्टे से लेकर दो घण्टे के बीच में अपनी अपनी शारीरिक स्थिति के अनुसार एक तीव्र और बहुत ही प्राकृतिक प्यास लगती है उस समय सादा जल अवश्य पीना चाहिए अन्यथा त्रिफला शरीर की सञ्चित शक्ति को निचोड़ लेगा।
DeleteIn triphala powder, Amalaki has cooling effect that manages pitta (supports functions of the liver and immune system). Bibhitaki takes care of kapha (supports respiratory system).
ReplyDeleteत्रिफला में एंटीऑक्सीडेंट गुण रहते हैं जो आपकी बढ़ रहे उम्र के असर को कम करने का काम करता है आपको जवां बनाए रखने में मददगार साबित होता है.
ReplyDeleteमैंने एक जगह पढा था कि स्वस्थ व्यक्ति को सुबह और रोगी को शाम को लेना चाहिए त्रिफला.......
ReplyDeleteक्या त्रिफला शारीरिक भार का भी छय करता है....?
त्रिफला का सेवन क्या गर्भवती महिलाओं को करना चाहिए.....?
ReplyDeleteया ऐसे ही किसी अन्य अवस्था (किसी बीमारी) में भी नहीं करना चाहिए....?
no
Deleteअक्सर डॉक्टर गर्भवती महिलाओं को पेट साफ करने की दवाइयाँ देते हैं। उसकी जगह इस त्रिफला का प्रयोग बेहतर है। किन्तु समानुपाती त्रिफला (1:1:1) गर्भवती को भूल कर भी न खिलाएँ। बाजार में मिलने वाले सभी ब्राण्डेड त्रिफला समानुपाती हैं और मैं उन्हें विष कहता हूँ।
Deleteनमक के साथ triphala चूर्ण कैसे लेना है
ReplyDeleteSir main panick disorder ka patients hu mujhe subhe subhe 4-5 baar fresh hone jana padta h main trifala kaise lu din main business ke karan nahi le sakta hu kya raat ko le sakta hu
ReplyDeleteजितने बजे उठते हैं उससे दो घण्टे पहले का अलार्म लगा लीजिये। उस समय उठ कर सादे पानी से त्रिफला खाकर फिर सो जाइए। ये मेरा अनुभूत और बहुत कारगर प्रयोग है।
Deleteचूर्ण बनाने के लिए बड़ी हर्ड को धीमी आंच पे सेकना पड़ेगा क्या या कच्ची हर्ड की गुठली निकाल कर पीस ले कृपया राय दे
ReplyDelete
Deleteसेंकने की आवश्यकता नहीं है, बस सूखा लीजिए। सेंकना भी है तो घी में सेकिए।
Sir ye koun se granth me leka hai
ReplyDelete1:2:4 ka redy kaha milega
ReplyDeleteBest h bahut achcha h
ReplyDeleteहमारे यहा 100% शुद्ध त्रिफळा बनाया जाता है
ReplyDeleteअधिक जाणकारी के लिए संपर्क
8275719837 whats app nd call
do u send through dak
DeleteKis anupat Vala bnate hai sir
DeleteWhat's karo 8275719837
ReplyDeleteWe have tree's of haritaki
Ky nahera ka beej mekaalna avashyak h
ReplyDeleteMaine galti se bahera k beej bhi pees liya
Ky use ab istmaal kr sakte hain
Deleteबीज सहित पीसने में विशेष हानि नहीं है, ऐसा मेरा अनुभव है। किन्तु बीज निकाल कर ही पीसना चाहिए। चूर्ण की असरकारक शक्ति पर जरूर असर पड़ता है।
Sanjay sharma
ReplyDeleteत्रिफला चूर्ण के फायदे कब्ज जैसी बीमारी से छुटकारा दिलाते हैं। कब्ज दूर करने के लिए आपको यह चूर्ण गर्म पानी के साथ लेना है।
ReplyDeleteत्रिफले mai namak
ReplyDeleteSalt only when suffering from sewer constipation. That's also when you are taking it before sleeping. Daily salt mixing is not suggested.
Deleteत्रिफ़ला में समान मात्रा 1:1:1 के क्या फ़ायदे हैं वो भी बताइये
ReplyDeleteसमानुपाती त्रिफला विष सदृश है। शुरूआत में नया नया पेट साफ होने के कारण कुछ समय के लिए प्रयोग करने वाले को लाभप्रद लगता है किन्तु लम्बे समय तक लेने में हानि ही हानि है।
DeleteSir...ritu triphala ka original reference kaha k he?
ReplyDeleteMera Naam rahul hai me Hyderabad se Hu
ReplyDeleteमैंने इस प्रकार त्रिफला लेने 6 साल पहले शुरू किया था और सिर्फ 1 साल तक ही लेपया हूं क्यों की इससे पतले दस्त ठीक नहीं होरहे थे लगातार 1 साल तक दिन 4,5 बार जाना पड़ता था इसके कारण मैं बोहोत दुबला पतला होगया लेकिन मुझे फायदा भी हुआ है मेरी यादाश्त बोहोत ही अच्छी होने लगी थी किन्तु दस्त के कारण छोड़ना पड़ा । अगर इसका कोई उपाय है तो मुझे कृपिए जरूर बताएं
धन्यवाद whatsapp no 8125463709
आपके शरीर का दायाँ भाग कमजोर हो गया है। इसका कारण आपकी दाएँ ओर की नाड़ी जिसे सूर्य नाड़ी या पिङ्गला भी कहते हैं, का अवरुद्ध होना है। इस कारण से आपके मेरुदण्ड में ऐंठन है। दोनों नाड़ियों में समानुपात में प्राण संचरण न होने से पूरी भोजन नलिका भी ऐंठ कर अवरुद्ध हो गई है। त्रिफला मल निकासी योग्य पर्याप्त दबाव तो बनाता है लेकिन मल निकासी की नलिका ही ऐंठ कर अवरुद्ध हो गयी है तो मल कई बार में निकल पाता है। इस कारण से आपकी पाचन क्रिया और अवशोषण के लिए समय ही नहीं मिलता है। यही कमजोरी का कारण है। आपके पास योगासन के अतिरिक्त और कोई सक्षम रास्ता नहीं है। सूर्य नमस्कार के पहले दो आसन बहुत महत्वपूर्ण हैं। सूर्य नमस्कार करिये और भी प्रत्येक आसन आजमाइए लेकिन मूलाधार से लेकर कण्ठ पर्यन्त पूरे मेरुदण्ड को लचीला करिए। शाम का भोजन हल्का या बिल्कुल न करें और खाना खाने के बाद दायाँ हाथ नीचे से और बायाँ हाथ ऊपर से ले जाते हुए गोमुख आसन की मुद्रा बना कर टहलिए और डकार निकालने का प्रयास अवश्य करिए। यदि ऊर्जावान अनुभव करते हैं तो तंदुरुस्त दिखने का लोभ कुछ समय के लिए छोड़ दीजिए। ऊर्जाहीनता अनुभव होने पर सूर्यभेदी प्राणायाम अकाट्य अस्त्र है। दाएँ नथुने में कपड़ा या गीला करके (श्वाँस में रेशों को घुसने से रोकने के लिए ) कॉटन लगा कर जबरदस्ती दाएँ नासिका से श्वाँस चलाएं तो भी लाभ मिलेगा। योगाभ्यास वर्षों का चक्कर है लेकिन प्रत्येक कदम पर स्थायी लाभ मिलता है। धैर्य पूर्वक प्रयास करिये, आपके लिए अतिआवश्यक है।
Deleteमें सूर्य नमस्कार या कोई आसन भी करता हूं तो 5 6 दिन में ही सुभा जल्दी उट नहीं पाता शरीर में दर्द होने लगता है फिर भी मैंने 1 महीने तक सूर्य नमस्कार किया है और प्राणायाम तो में करता हूं लेकिन जो अनुभव त्रिफला के प्रयोग से हुआ है यादाश्त के बारे में वो अद्भुत ही था गजब का अनुभव था। मेरा कॉन्फिडेंस लेवल भी बोहोत कम रहता है क्या में ऐसे ही त्रिफला ले सकता हूं या कृपीया कोई और कायाकल्प का तरीका है तो बताइए । धन्यवद्
Deleteपतंजलि के तरिफला चूरन में हरङ वहेङा आमला किस अनुपात में है और क्या कलप के ँलिए क्या अनुपात सही है जब
ReplyDeleteManoj sir plz send ur what's app no.
ReplyDeleteManoj sir it is said that continues use of triphala makes your intestine dry pl explain
ReplyDeletesugar patient ko trfla churan kaisai lai please btana
ReplyDeleteRespected Manoj sir
ReplyDeleteAge 34 female
Mai 7 saal SE alag alag bimari SE pareshan Hu abhi piles To theek h par
UTI infection
Constipation
Joints pane
Pairo aur gatto me sujan aur dard
Upper back me stiffness
Weaknesses aur tiredness
Chidchidahat aur gussa
Tanavgrast motapa adi dikat hain
M ayurvedki, homeopathic, allopathic sab lekar thak gai pr koi Aram nhi h
Kya karu
श्रीमान जी,
ReplyDeleteक्या ये पाइल्स में भी उपयोगी है क्या मस्से खत्म हो सकते है। किस तरह उपयोग करना होगा।
Excellent Manoj ji. Thank you.
ReplyDeleteExcellent information
ReplyDeleteत्रिफला जल्दी असर नहीं दिखाता लेकिन धीरे धीरे यह आपके हाडवेयर और साफ्टवेयर्स को पुरी तरह क्लीन कर देता है परिणाम स्वरुप
ReplyDeletesar Ji mera naam Kamal Moti hai main triple h ka Sevan karna chahta hun kayakalp ke liye mujhe uchit margdarshan dijiye
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