Thursday, September 13, 2012

सेना होरी कूदेंगे !

यह कहानी मैंने बुजुर्गों से सुनी थी। बात उस जमाने की है जब इस देश में अंग्रेजों का शासन हुआ करता था। उस समय ग्रामीण क्षेत्रों के लोग प्रायः अनपढ़ ही होते थे। अज्ञानतावश वे अंग्रेज अधिकारियों को सेना (force) कहते थे। ऐसे ही एक अंग्रेज अधिकारी जो कि तहसील के किसी उच्च पद पर नियुक्त थे, आस पास के गावों में सेना के नाम से प्रसिद्ध थे। लोग उन्हें सेना ही कहा करते थे। प्रसिद्ध इसलिये थे क्योंकि उन साहब के आचरण ही ऐसे थे। जिधर भी वे निकल पड़ते, क्षेत्र के लोग भयभीत हो जाते। किसी की भी मारपीट करते रहना तो उनका प्रतिदिन का कार्यक्रम होता था। अलबत्ता जब कभी मन मचल जाता तो बहु-बेटियों की बेइज्जती भी करते रहते थे। जनता त्रस्त थी और श्रीमान जी आतंक का पर्याय बन चुके थे। ग्रामीणों को उनसे निजात पाने का सही रास्ता न सूझ पा रहा था। अंततोगत्वा क्षेत्र के चुनिन्दा बुद्धिमानों ने इस समस्या पर मंथन किया और एक रास्ता निकाला। उन्होंने कहा कि यह खबर फैलाना शुरू कर दो कि "सेना होरी कूदेंगे"। 

दरअसल कोई दो तीन महीने बाद ही होली थी। धीरे धीरे यह अफ़वाह फैलने लगी कि सेना होरी कूदेंगे। कोई कुछ समझ नहीं पा रहा था कि क्या होने वाला था या इस बात का क्या मतलब था। लेकिन हर जुबान पर बस एक ही बात थी कि सेना होरी कूदेंगे। बात अधिकारी महोदय के कान तक भी पहुंची कि गावों में बड़ा प्रचार है कि सेना होरी कूदेंगे। बात का मतलब उन्हें भी समझ में नहीं आ रहा था। कहते हैं कि ताकत के साथ मद भी आता है। और मद बुद्धि को मंद या बिलकुल बंद कर देता है। वह तो केवल अपने दायरे के अन्दर ही सोच पाता है। श्रीमान जी को यह लगा की शायद ग्रामीण लोग भय के कारण मुझे खुश करने का कुछ उपाय करने वाले हैं। होली के अवसर पर कुछ सादर सत्कार करेंगे या शायद कोई 'विशेष' सेवा का भी इंतजाम हो। उनके मन में लड्डुओं के ढेर फूट रहे थे। चैन नहीं पड़ रहा था की कब होली आये और कब अपनी ताकत का परिणाम भोगने को मिले।

ठीक जिस रात होली जलाई जाने वाली थी अधिकारी महोदय सज धज कर घोड़े पे बैठ अकेले ही उस स्थान की ओर चल दिए जहाँ आसपास के गावों की सम्मिलित होली जला करती थी। लोगों ने उनका बड़ा सत्कार किया। उन्हें ही होली को प्रथम अग्नि लगाने का अवसर दिया गया। और जैसे ही होली खूब तेज जलने लगी चार पांच लोगों ने उन्हें उठा कर जलती हुयी होली में रख दिया। क्षेत्र की समस्या होली के साथ जल गयी।

बहुत बड़ी घटना हो गयी। एक काबिल अधिकारी मारा गया। प्रशासन हिल गया। एस आई टी का गठन कर दिया गया। जांच शुरू हो गयी। सी आई डी लगा दी गयी ........ लेकिन बच्चे से, बूढ़े से, दुकानदार से जिससे भी पूछा जाता वो तो बस एक ही जवाब देता "पता नहीं साहब, यह बात तो कई महीनों से फैली थी कि सेना होरी कूदेंगे। लगता है कूदे होंगे। वैसे थे बड़े बहादुर। क्षेत्र के सब लोग उनसे डरते थे।"


Courtesy: militaryhorse.org

कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी, सदियों रहा है दुश्मन दौर-ऐ -जहाँ हमारा।

2 comments:

  1. Best post till now, in really easy Hindi, with simple message. Your blog has developed a unique beauty. Now is the time to continue.

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कृपया उत्साहवर्धन भी कर दीजिये।